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शुक्रवार, 17 जुलाई 2009

राम भक्त


चित्रकूट। भगवान के मिलने के ज्वलंत उदाहरण चित्रकूट की पवित्र धरती पर आज भी मौजूद हैं। जब प्राणी भगवान को चित्त मे धारण कर लेता है तो उसे चित्रों के इस कूट में भगवान सहजता से मिल जाते हैं। संत तुलसी के साथ ही इस धरती के तमाम ऐसे महात्मा हैं जिन्होंने परमात्मा के दर्शन किये हैं। यह बातें आचार्य आचार्य पं. देव प्रभाकर शास्त्री 'दद्दा जी' ने हजारों शिव भक्तों को संबोधित करते हुये कहीं।
उन्होंने चित्रकूट की विशद व्याख्या के दौरान कहा कि लोभ लाभ का परित्याग कर चित्त में भगवान को बैठा लेने पर प्रभु के दर्शन सहजता से होते हैं। भरत जी भी यहां पर गुरु वशिष्ठ इसीलिये अपने साथ लेकर आये थे क्योंकि हर चीज उनके बस में थी। अनोखे मिलन की स्थली के रूप में चित्रकूट को निरुपित करने के साथ ही कहा कि 'हरि व्यापक सवर्ग समाना, प्रेम से प्रकट होहि भगवाना'।
उन्होंने कहा कि परमात्मा को ढ़ूंढने की कला संतों के आर्शीवाद से ही मिल सकती है। वाणी को वीणा बना लेने से जीवन में पवित्रता आ जाती है। संसार में उपलब्धियों का क्रम अपने आप प्रारंभ हो जाता है। संत कृपा दुर्लभ नही है पर संत कृपा के लिये चिंतन का होना अति आवश्यक है। संतों की कृपा कब जीवन में हो जायेगी यह पता भी नहीं चलेगा और जीवन अंधकार से प्रकाश की ओर चल पड़ेगा। मार्गदर्शक के लक्षण बताते हुये कहा कि वह ज्यादा चालाक व व्यवहार कुशल हो तो सहगामी बौरा नहीं सकता। अनुगामी लंगड़ा न हो अर्थात अनुगामी लंगड़ा होगा तो बोझा कौन ढोएगा। कथनी और करनी में एकता होने से मानव समाज दिग्भ्रमित होने से बच सकता है। कथा के अंत में उन्होंने बताया कि अभी तक कुल छह करोड़ बाइस लाख दो सौ नवासी महारुद्रों का निर्माण हो चुका है।

बुधवार, 3 जून 2009

'गंगा बचाओ गठबंधन'




धर्म रिपोर्टर, विनोद, दिल्ली



शंकराचार्य गंगा सेवा न्यास के तत्वाधान में अनंत श्री विभूषित ज्योतिष्ठाधीश्वर व द्वारका शारदापीठाधीश्वर जगतगुरू स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती द्वारा संचालित गंगा सेवा अभियानको आगे बढ़ाते हुए स्वामी आनंद गिरी जी महाराज ने देश के सभी सांसदों को इस मुहिम में जोड़ने की मुहिम को और तेज कर दिया है। इसके लिए स्वामी आनंद गिरी जी महाराज एक-एक कर सभी सांसदों से मुलाकात कर रहे है उन्हे गंगा जल भेंट कर शपथ पत्र भी भरवा रहे है।जिसमें सांसदो से यह भरोसा ले रहे है कि गंगा को प्रदूषण से बचाने के लिए गंगा बचाओ अभियान को सफल बनाएंगे और इसके लिए सरकार से सहयोग दिलाएंगे। केंद्र में नई सरकार के बनने के साथ ही साधु-संतों ने गंगा को बचाने के लिए गंगा सेवा अभियान और गंगा सेना अभियान के संयुक्त प्रयास से देश के सभी सांसदों से मुलाकात कर गंगा जल भेंट कर रहे है। साथ ही उनसे शपथ पत्र भरवाया जा रहा है कि गंगा को प्रदूषण से मुक्ति दिलाने के लिए अगले पांच साल में वे इस अभियान को बढ़ाने के लिए ईमानदारी से काम करेंगे। अभियान के मुखिया स्वामी आनंद गिरी जी महाराज ने अपने दिल्ली प्रवास के दौरान धर्म रिपोर्टर की टीम को बताया कि इलाहाबाद से कलश में गंगा जल लाया गया जिसे सांसदों को भेंट किया जा रहा है। वह अब तक तकरीबन 50 सांसदों से मिल कर गंगा जल भेंट कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि पिछली यूपीए सरकार ने गंगा नदी को राष्ट्रीय नदी घोषित की थी। इसके लिए वे बधाई की पात्र है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अभी इस क्षेत्र में बहुत काम करने की आवश्यकता है। स्वामी आनंद गिरी जी महाराज अभी तक जिन सांसदों से मिल चुके हैं, उनमें शामिल है- पहली महिला लोक सभा अध्यक्ष मीरा कुमार, मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल, राज्य मंत्री श्री प्रकाश जायसवाल, जगदम्बिका पाल, कमल किशोर नारायण स्वामी, हसन खान, सीवी जोशी, हरीश रावत, जितेंद्र प्रसाद, संदीप दीक्षित, पवन बंसल, प्रथा किशोर, चंद्रेश कुमारी, कमलकांत(कमांडो), कपिल मुनि करवरिया, रेवती रमण, शैलेंद्र कुमार।स्वामी आनंद गिरी जी महाराज के मुताबिक सभी सांसदों ने उन्हें आश्वासन दिया है कि साधुओं और सांसदों का गठबंधन मिलकर मां गंगा को प्रदूषण से मुक्ति दिलाएगा। आनंद गिरी जी महाराज ने धर्म रिपोर्टर को बताया है कि सभी सांसदों ने इस अभियान की सराहना करते हुए भरोसा दिलाया है कि केंद्र सरकार से गंगा को साफ-सुथरा बनाने के लिए बजट दिलाएंगे और संसद में इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाएंगे।

मंगलवार, 2 जून 2009

गंगा दशहरा क्यों ?

भगीरथ के अथक प्रयत्न से माँ गंगा स्वर्ग से धरती पर उतरी शंकर भगवान ने गंगा जी की सहस्र धाराओं को अपनी जटाओं में लपेट लिया भगीरथ के अनुनय पर पापियों, रोगियों के उत्थान के लिए और धरती की प्यास बुझाने के लिए शंकर भगवान् ने गंगा की एक धारा को अवमुक्त कर दिया गंगा मैया के धरती पर इसी अवतरण के उपलक्ष्य में गंगा दशहरा का त्यौहार मनाया जाता है


गंगा दशहरा फोटो गैलरी 2











गंगा दशहरा फोटो गैलरी 1


गंगा दशहरा के मौके पर देश भर में लोगों ने पुण्य लाभ किया




सोमवार, 1 जून 2009

‘बाबा का महाफ्रॉड’


(टीम धर्म रिपोर्टर,अहमदाबाद)
धर्म की आड़ में अशोक जाडेजा नाम के एक बाबा ने किसी भी रकम को तीन माह में तीन गुना करने का लालच देकर लगभाग 1800 करोड़ रूपए की ठगी करने का मामला सामने आया है। हालांकि पुलिस ने रकम के आंकड़ों के बारें में कोई आधिकारिक पूष्टि नहीं की । ठगी का शिकार हुए सांसी समाज के मुताबिक खुद को मां शकोतरा माता का भक्त बता कर अशोक जाडेजा नें सांसी समाज के लोगों को पहले तो धर्म और आस्था के नाम पर विश्वास मे लिया फिर उसने अपनी पत्नी के साथ मिलकर इस महाघोटाले को अंजाम दिया।
पाखंडी बाबा अशोक जाडेजा ने इस ठग विद्या की शुरुआत अपने ससुराल जोधपुर से की जहां उसने पहले तो लोगों के बीच में खुद को बाबा के रूप में प्रसिद्ध किया। फिर जनता का विश्वास इस कदर उसने जीता कि लोग उस देखते ही उसके पैरों पर पैसों की बरसात करने लगते थे। इसी अंधविश्वास का सहारा लेकर आखिर कार उसने एक लंबी प्लानिंग कर डाली, ऐसी प्लानिंग की जिसमें उसने आम भोली भाली जनता को अपना शिकार बनाया खास तौर पर उसके चंगुल में सांसी समाज के लोग ज्यादा फंसे। जाडेजा ने लोगों को तीन महींनें में अपनी रकम तिगुना करने का लालच देकर तकरीबन 1800 करोंड़ ऐंठ लिए। ऐसी जानकारी मिल रही है इस पाखंडी की बाबा का नेटवर्क 10 से ज्यादा शहरों में फैला है। सूत्रों का कहना है कि उसने इन पैसों प्रापर्टी के धंधे में लगा दिया। लेकिन वहीं अशोक जाडेजा अपने ऊपर लगे सारे इल्जाम को सिरे से नकार रहा है।उसका कहना है कि सांसी समाज के लोगों का पैसा उन्ही की एक संस्था के पास है।
इस बात की भनक जैसे ही पुलिस को लगी तत्काल पुलिस हरकत आते हुए ढोंगी बाबा जाडेजा को गिरफ्त में ले लिया। पुलिस जाडेजा से इस संबंध में पूछताछ कर रही है। सच क्या है यह बात का खुलासा पुलिस के पूछताछ के बाद ही हो पाएगा। उधर इस ठगी बाबा के खिलाफ लोगों में काफी आक्रोश है। आज लोगों ने उसके खिलाफ प्रदर्शन भी किया। सूत्रों की मानें ने उसने अकेले दिल्ली में उसने करीब 1000 से ज्यादा लोगों को चूना लगाया।
आखिर दोष उनका भी तो है जो लोग अपने धन को तिगुना करने की लालच लिए आस्था व श्रद्धा के नाम पर उस धूर्त बाबा के चंगुल में फंस गए। ऐसी चीजों को बढ़वा देने में कहीं न कहीं हम और आप भी जिम्मेदार है तभी ऐस ढोंगी बाबा पनपते है।

शुक्रवार, 29 मई 2009

'गंगा बचाओ गठबंधन'

साधु और सांसदों ने बना लिया है एक नया गठबंधन... नाम है 'गंगा बचाओ गठबंधन'... कौन है इस गठबंधन के पीछे... कैसे बना ये गठबंधन... पूरी जानकारी के साथ जल्द आ रहा है 'गंगा बचाओ गठबंधन'...









मंगलवार, 26 मई 2009

'बाबा'रामदेव की 'बाज़ार'नीति


(टीम धर्म रिपोर्टर, हरिद्वार)

योग गुरू बाबा रामदेव अब बन गए हैं खालिस कारोबारी। अब वो हो गए हैं अपनी कंपनी के चीफ मैनेजिंग डायरेक्टर यानि सीएमडी। योग के जरिए रोग भगाने का दावा करनेवाले रामदेव ने योग बेचने के अपने कारोबार कामयाबी के बाद अब फल, सब्जियां, फलों के जूस, बिस्कुट, क्रीम, पाउडर और बालों का सुगंधित तेल बेचेने का भी मन बना लिया है। कहने का मतलब साफ है, बाबा रामदेव अब योगाचार्य के साथ-साथ बन गए हैं उद्योगपति। 28 फरवरी को हरिद्वार लक्सर मार्ग पर स्थित गांव पदार्था में 125 एकड़ खेती की जमीन पर रामदेव ने अपने कंपनी की शुरूआत की। इस मौके पर देश के कई जाने-माने उद्योगपतियों और केन्द्रीय मंत्री सुबोध कांत सहाय की मौजूदगी में विशालतम मेगा फूड पार्क पतंजलि फूड एंड पार्क लिमिटेड की नींव रखी गई। यह मेगा फूड पार्क रामदेव भारत सरकार की सहायता से कर रहे हैं। भारत सरकार खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय से इसके लिए उन्हें 50 करोड़ रूपए का अनुदान मिला है। ऐसा माना जा रहा है कि बाबा रामदेव इस कांग्रेस के इस कर्ज के बदले उसके पक्ष में सीमित प्रचार कर सकते हैं।ऱामदेव का मेगा फूड पार्क 125 एकड़ में निर्मित होगा। इसकी कुल लागत 500 करोड़ रूपए आने का अनुमान है। पहले चरण में 250 करोड़ रूपए की लागत से निर्माण कार्य पूरा किया जाएगा और 4 अगस्त को पहले चरण का उत्पादन शुरू हो जाएगा। दूसरा चरण 2010 में ढाई सौ करोड़ की लागत से पूरा हो जाएगा। इसके पहले रामदेव ने सोमवार 23 फरवरी को केन्द्रीय राज्य मंत्री सुबोधकांत सहाय के गृह क्षेत्र रांची में भी फूड पार्क की आधारशिला रखी थी। इस फूड पार्क में भी बाबा रामदेव भारत सरकार के सहयोगी हैं। असल में बाबा रामदेव हर जगह अपनी उपस्थिति दर्ज करना चाहते हैं। उनका व्यापारिक साम्राज्य जिस तरह से लगातार कुलांचे मार रहा है इसे देखते हुए रामदेव के लिए ये जरूरी है कि वो सत्ता के करीब बने रहें। शायद यहीं वजह है कि बाबा रामदेव ने कुछ दिन पहले एक निजी चैनल 'न्यूज़24' को दिए अपने इंटरव्यू में इस बात की वकालत की थी कि चाणक्य की तरह देश को एक धर्मगुरू की जरूरत है। चुनाब बाद सत्ता के बदले हुए समीकरण में बाबा रामदेव को कांग्रेस के साथ रहने में ही फायदा नज़र आ रहा है। लिहाजा, थोड़े दिनों पहले तक संघ और विहिप के करीबी रहे रामदेव अब कांग्रेस और यूपीए गठबंधन के दूसरे दलों के ज्यादा नजदीक हैं। विहिप के कार्यक्रमों तक से वे अब परहेज करने लगे हैं। शायद यहीं वजह है कि रामदेव संघ समर्थित धर्म रक्षा मंच की हरिद्वार में बैठक में नहीं गए थे। और तो और स्वामी रामदेव के हर कार्यक्रम का संचालन करनेवाले स्वामी हंसदास भी स्वामी रामदेव के कार्यक्रम में नहीं आए। स्वामी हंसदास धर्म रक्षा मंच से जुड़े हुए हैं। यानि साफ है संघ परिवार और रामदेव के बीच दूरियां बननी शुरू हो गई हैं। हंसदास और रामदेव के बीच दूरियों का प्रमुख कारण रामदेव का व्यापारी स्वभाव है। रामदेव की मजबूरी है कि वे सत्ता के साथ बने रहें ताकि उनका व्यापार चलता रहे। जबकि महामण्डलेश्वर हंसदास जैसे संतों की कार्यशैली बिल्कुल अलग है।हालांकि रामदेव अब सिर्फ अपने व्यापार को लेकर ही चिंतित दिखते हैं। यही वजह कि योग की दुनिया में क्रांति लानेवाला बाबा रामदेव कभी राजनीति क्रांति तो कभी देश में कृषि क्रांति लाने की बात कर रहे हैं। रामदेव बार-बार यहीं कह रहे हैं कि उनकी बड़ी चिंता अब यह है कि वे भारतीय किसानों के लिए पांच हजार करोड़ से एक लाख करोड़ का बाजार कैसे खड़ा करें। बाबा ने दावा किया कि फूड पार्क बन जाने के बाद उनके यहां तीस हजार लोगों को रोजगार मिलेगा। रिलायंस की तर्ज पर उन्होंने ऐसी कारोबारी शैली विकसित की है ताकि किसान और कंपनी के बीच के बिचौलियों को खत्म किया जा सके। गौरतलब है कि वालमार्ट कंपनी भी इसी शैली में काम करती है और किसानों से सीधे माल खरीदती है। रिलायंस ने जब रिटेल कारोबार में उतरने की घोषणा की तो उसने भी यही किया था। अब बाबा रामदेव भी उसी रास्ते पर जाते दिख रहे हैं। रामदेव के मेगा फूड पार्क में बिस्कुट, सौंदर्य प्रसाधन, सब्जियों और फलों के जूस और आयुर्वेदिक पद्धति से अन्य खाद्य पदार्थों का उत्पादन होगा।अपने इस स्वदेशी उत्पादन अभियान को ठीक से संचालित करने के लिए उन्होंने 'आजादी बचाओ आंदोलन' के लोगों को भी अपने साथ जोड़ लिया है। उनके काम-काज को अंजाम देने के लिए आजादी बचाओ आंदोलन के पूर्व प्रवक्ता राजीव दीक्षीत उनके साथ जुड़ गए हैं और स्वदेशी खाद्य उत्पादन का काम देखेंगे। राजनीति क्रांति, कृषि क्रांति के अलावा बाबा रामदेव देश में जल क्रांति भी करना चाहते हैं। वे देशवासियों को बारिश के पानी को सुरक्षित करने के नये तरीके बतायेंगे ताकि आनेवाले समय में भारतवासियों को पीने के पानी का संकट न हो।

रविवार, 24 मई 2009

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